Saturday, 25 June 2016


                                                                                                                                                                                  
​​शहर और सिनेमा वाया दिल्ली 
                                                                                                                                                                                     

के 
युवा लेखक मिहिर पंड्या

रुकमणि वर्मा युवा लेखक साहित्यकार पुरस्कार 

से सम्मानित 



  पुस्तक के कुछ महत्वपूर्ण अंश  

‘‘जब हम रोज़गार के लिए नगरों में जा रहे हैं तो भीड़दुर्घटनाप्रदूषण होगा और पसीने से तरबतर स्त्रिायाँ बस के लिए भागती हुई जरूर मिलेंगी। कृपया शहर के भीतर जाइए। जब तक विचार की जगह बाज़ार रहेगा दिल्ली के जनपथ पर चिलगोजे़ मिलते रहेंगे। नगर के वास्तविक हादसे की तरफ हमारा ध्यान नहीं है। वास्तव में हम एक नर्क से दूसरे नर्क में यात्रा करते हैं लेकिन यह सच्चाई को न जानकर एक फर्क अपनी सोच में पैदा करते हैं... लगता है कि लोग शहरों पर पिल पड़े हैं। हमें नगर के बारे में अब गहरी तैयारी और सघन सूझ-बूझ से लिखना होगा जिसमें समूचे मुल्क़ के भीतरी परिवर्तन शामिल होंगे। हम प्रचलित घड़ियों में समय देखना बन्द कर दें अन्यथा गलत समय का पता मिलेगा... जब आप मीनमेख कर रहे होते हैंकोसते रहते हैंउस समय मत भूलिए कि शहर को असंख्य लोग प्यार करते होते हैं। असंख्य लोग उसी शहर में पनाह लेते होते हैं। ये ही लोग होते हैं जो नगरों को बचाते हैं।’’

ज्ञानरंजन (कबाड़ख़ाना से)



  युवा लेखक मिहिर पंड्या 


जन्म: सितम्बर 1985 (उदयपुर)।

बचपन बनस्थली विद्यापीठ’ (राजस्थान) में बीता। आरंभिक शिक्षा भी वहीं। बी.ए. के दौरान खेल पर एक अख़बारी कॉलम से लेखन की शुरुआत। दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए.एम.फिल.। 

एम.ए. के दौरान गांधी की सिनेमाई संरचना पर शोध कार्य। लोक मनोविज्ञान और लोकप्रिय सांस्कृतिक रूपकों के अध्ययन में गहरी रुचि। दिल्ली विश्वविद्यालय में जूनियर रिसर्च फैलो। सिनेमा और शहर के अन्तःसम्बन्धों पर शोधरत। सिनेमा पर आवारा हूँ’ ब्लॉग का संचालन।

एकलव्य की बाल-विज्ञान पत्रिका चकमक’ के सम्पादन मंडल में। लघु पत्रिका बनास’ के सह-सम्पादक। तहलका (हिन्दी) के लिए फिल्म समीक्षाएँ कीं। नवभारत टाइम्स में रोशनदान’ शीर्षक से लोकप्रिय सिनेमा संस्कृति पर कॉलम लिखा। साहित्यिक पत्रिका कथादेश’ में सिनेमा पर नियमित कॉलम।प्रतिलिपि’, ‘नवभारत टाइम्स’, ‘जनसत्ता’, ‘तहलका’, ‘वाक्’, ‘मीडियानगर’, ‘बहुवचन’, ‘समकालीन जनमत’, ‘शिक्षा विमर्श’ जैसी पत्र-पत्रिकाओं में निबन्ध एवं आलेख प्रकाशित।



यह पुरस्कार सितम्बर 2016 को चूरू(राजस्थान) जिला मुख्यालय में दिया जायेगा। 

 जिसमें युवा लेखक मिहिर पंड्या को पुरस्कार
 के अंतर्गत 11 हजार रुपये नकद, शॉल, श्रीफल और मानपत्र दिया जाएगा।

पुस्तक का लिंक नीचे दिया जा रहा है 
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